सपने तो बस सपने हैं कब पूरे हो पाये हैं... सपने तो बस सपने हैं कब पूरे हो पाये हैं...
मैं मामूली सा श्रमिक हूं साहब, मेरे लिए जीना भी एक मज़दूरी है। मैं मामूली सा श्रमिक हूं साहब, मेरे लिए जीना भी एक मज़दूरी है।
पटरी ने ही उसे बहुत दूर कर दिया मजदूर था वो साहब ! मजदूर था। पटरी ने ही उसे बहुत दूर कर दिया मजदूर था वो साहब ! मजदूर था।
हर हालत में टिकने वाले जो शूर है हा वो मजदूर है। हर हालत में टिकने वाले जो शूर है हा वो मजदूर है।
अपनी छत से दूर होकर भी दूसरों को छत देते हैं ये मजदूर। अपनी छत से दूर होकर भी दूसरों को छत देते हैं ये मजदूर।
इनसे कैसे पाऐं पार? पैने दाँत लिऐ भूखे शिकारी अधिकार छीनने को तैयार कहते -2 विवश होकर रो पड़ा - एक ... इनसे कैसे पाऐं पार? पैने दाँत लिऐ भूखे शिकारी अधिकार छीनने को तैयार कहते -2 विव...